कई लोग मुझसे आर्थिक सलाह लेते हैं। कुछ लोग आसान सवाल पूछते हैं तो कुछ का जवाब देना मुश्किल होता है। कभी सवाल करने वाले खुद अपने बारे में बताते हैं। मसलन, मेरे पास ‘इतना पैसा’ है और मैं इसके साथ क्या करूं। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें भविष्य में इतने पैसे की जरूरत है और उसे पाने के लिए क्या करें। यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन मुश्किल तब होती है जब आप सिर्फ रास्ता सुझा सकते हैं कि वे अपना सही जवाब कैसे तलाशें। इस मुश्किल कैटेगरी में एक सवाल हमेशा शामिल रहता है कि मैं अपनी ‘आर्थिक आजादी’ (Financial Freedom) कैसे हासिल करूं। ‘आर्थिक आजादी‘ का मतलब है कि भविष्य में पैसे के लिए फिक्र ना करनी पड़े।
हो सकता है कि हमेशा से लोगों का सपना यही रहा हो, लेकिन अब इस बारे में लोग ज्यादा बात करने लगे हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि रोज कमाने की जद्दोजहद हमारी दैनिक जिंदगी पर हावी हो गई है। आर्थिक आजादी के कई स्तर होते हैं। इसका आखिरी पायदान वही होता है जब आपको पैसा कमाने के लिए जिंदगी में फिर कभी काम नहीं करना पड़े। हमारे बीच ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जिनकी पूरी उम्र इस लक्ष्य को हासिल करने में गुजर जाती है। आर्थिक आजादी( Financial Freedom ) का असल मायने क्या है। कई लेखकों ने इस पर लिखा है। ग्रांट सबेस्टियर ने अपनी किताब ‘फाइनेंशियल फ्रीडमः अ प्रूवेन पाथ टू आल द मनी यू विल एवर नीड’ में आर्थिक आजादी के सात स्तर बताए हैं। ये इस प्रकार हैं।
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स्पष्टता: जब आप अपनी आर्थिक स्थिति को समझ लेते हैं और ये जान जाते हैं कि आप क्या हासिल कर सकते हैं।
आत्मनिर्भरताः जब आप इतना पैसा कमाएं कि आपका सारा खर्च खुद पूरा कर सकें।
राहत की स्थायित्वः जब आपके पास छह महीने के खर्च लायक पैसे हों और कोई कंज्यूमर लोन नहीं हो।
गुंजाइश: जब जिंदगी में आर्थिक निर्भरता एक वेतन से दूसरे वेतन तक सीमित नहीं हो।
लचीलापनः जब आपके पास कम से कम दो साल का खर्च बचत के तौर पर मौजूद हो।
आर्थिक आजादी: जब आप अपने निवेश से मिलने वाली आमदनी से जिंदगी गुजार सकें और काम करना एक चुनाव हो ।
भरपूर संपन्नता: जब आपके पास उससे कहीं ज्यादा धन हो, जितने की आपको शायद कभी जरूरत नहीं होगी।
इस सूची को पढ़ने वाले हमसे कुछ ही लोग असल में इसकी सबसे ऊंची पायदान पर पहुंचने के बारे में सार्थक तरीके से सोचेंगे। लेकिन अगर हम थोड़ी प्लानिंग के साथ बचत और निवेश करें, तो कुछ कम ही सही, मगर जिंदगी के शुरुआती दौर में ही आर्थिक आजादी हासिल की जा सकती है। इससे महत्वपूर्ण बात ये है कि जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था बदली है, आर्थिक पहलू और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
वेतन पाने वालों के लिए किसी भी स्तर की आर्थिक आजादी पाना पिछले एक या दो दशक के मुकाबले अब और ज्यादा अहम हो गया है। अगर कोई 35 साल की उम्र तक ऊपर दी गई लिस्ट के लेवल चार या 40 साल की उम्र में लेवल पांच तक पहुंच पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।
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